नमन है ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, सुखलाल कुशवाहा, बाबा साहब अम्बेडकर जी को, आपने उस समय कैसे संघर्ष किया होगा? मैं तो सोच भी नहीं सकता कितना भयानक था? आप लोगों ने कैसे सहन किया होगा? आज मैं संविधान के दम पर इतनी लड़ाई लड़ पा रहा हूं, नहीं तो मुझ में शायद वो दम नहीं है? लेकिन आप लोगों के समय तो कुछ भी नहीं था। मां कसम दिल से सलाम है!
क्योंकि जो संघर्ष करता है, वही जानता है कि उस पर क्या बीत रही है? और सबसे बड़ी बात तो ये कि आप जिसके लिए संघर्ष कर रहे हैं, वे (समाज) ही साथ ना दें। इससे दुखद कुछ, हो ही नहीं सकता। जैसे आप अपने घर में किसी सदस्य के भले के लिए कुछ कर रहे हैं, और वो ही आपका साथ ना दें फिर आपको कैसा लगेगा?
लेकिन आप लोगों को पता था कि आज हम लड़ लेंगे, तो हमारी भविष्य की पीढ़ी सुरक्षित हो जाएगी। मैं आज ब्राह्मणों से संघर्ष की लड़ाई लड़ रहा हूं। सिर्फ आप लोगों की बदौलत ही संभव है। और आज जो भी शिक्षा मुझे मिली है, सिर्फ आप लोगों की कुर्बानी से ही मिली है। दोगले इंसान आपके समय में भी समाज में थे, और आज के समय भी है, और आगे भी रहेंगे..। आपके समय के दोगले लोगों की पीढ़ी को सच्चाई पता भी है कि आपके संघर्ष के कारण ही आज वे आगे बढ़ पाए हैं। और आप लोगों के बलिदान के कारण ही आज वे जिंदा हैं। लेकिन आप लोगों का उन पर कोई असर नहीं है? क्योंकि उनकी रगों में गुलामी ही दौड़ रही है।
मेरा मानना है आजकल जैसे सरकारी नौकरियों में होता है कि जो मेहनत करेगा? नौकरी भी उसी को मिलेगी। ऐसे ही जो संघर्ष करेगा, आजादी भी सिर्फ उसी की पीढ़ी को मिलेगी। तो फिर सोचिए कितना अच्छा होता? फिर तो दोगले लोगों को भी गुलामी से छुटकारा पाने के लिए कभी ना कभी संघर्ष करना पड़ता? तब उन्हें पता चलता कि संघर्ष होता क्या है??
बहुत बहुत धन्यवाद पूर्वज!! आपका ही खून मेरी रगों में दौड़ रहा है।
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