नमन है स्वामी विवेकानंद, मदन मोहन मालवीय जी को। आपके समय अंग्रेजों का अत्याचार कितना भयानक था? आप लोग डटे रहे। आप लोगों के संघर्ष के कारण 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' बना। और विश्वविद्यालय के नाम में 'हिन्दू' जुड़ा। धन्य हैं!
लेकिन आप लोगों को पता था कि हमारे आज के जज्बे से हिन्दू विरासत आगे बढ़ेगी। और हमारी भविष्य की पीढ़ी हिन्दू धर्म के अध्यात्म को गर्व से पढ़ सकेगी। कश्मीरी पंडितों के बलिदान के कारण ही उनकी पीढ़ी आज फिर से अपने घर वापस जाने के लिए जिंदा हैं। बांग्लादेश में आज हिन्दू संघर्ष की लड़ाई लड़ रहे हैं। और 19 वीं सदी में विवेकानंद जी ने अमेरिका में हिन्दू धर्म फैला दिया था। स्वामी जी के हिन्दू अध्यात्म ज्ञान से मार्गरेट एलिजाबेथ नोबेल इतनी प्रभावित हुई कि भगिनी निवेदिता बन गई। जिन्होंने देश में स्त्री शिक्षा एवं हमें आजादी दिलाने के लिए अपने ही लोगों को दुश्मन बना लिया। हिन्दू धर्म में सहिष्णुता है। इसी कारण जब यहूदी मंदिर रोमन अत्याचार से व्यथित थे, तब हमारे देश की धार्मिक संस्कृति ने उनको शरण दी थी। हमें गर्व है कि हमारा धर्म पारस्परिक विकास की भावना सिखाता है। हमारी संस्कृति कहती हैं कि 'वसुधैव कुटुम्बकम'। और आज हमारा पड़ोसी देश अपने देश के लोगों को ही अपना परिवार नहीं मान रहा है। सोचने वाली बात है कि आपकी ये धार्मिक संस्कृति है?
अगर बांग्लादेश जैसा हमारे देश में अल्पसंख्यकों के साथ होता तो हम खुद इसका विरोध करते। इसलिए नहीं कि हम हिन्दू विरोधी हैं, या हम असंगठित हैं। बल्कि इसलिए कि हमें पता है कि क्या गलत है और क्या सही? महाभारत इसका उदाहरण है। मेरा बांग्लादेशी लोगों से प्रश्न है कि क्या आपकी संस्कृति में गलत का विरोध करना नहीं सिखाया जाता? और हां आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि हम लोग असंगठित होने के कारण विरोध नहीं करते। बल्कि हमारी धार्मिक संस्कृति सार्वभौमिकता है। जो सभी लोगों के प्रति उदार और सहानुभूति रखना सिखाती है।
ज्ञान के कारण ही आज दुनिया के हर कोने में भगवा ध्वज लहरा रहा है। जब लोग शिक्षित होंगे तो विरोध करने की शक्ति आएगी। ईरान में हिजाब पहनने को लेकर विरोध हुआ था, और पर्सनल लॉ में बदलाव किया। ये शिक्षित होने का ही नतीजा था।
हमारे देश में अन्य धर्म के लोग 100 हिन्दुओं के बीच में अकेले होकर भी सुरक्षित महसूस करता है। लेकिन मुस्लिम देशों में अन्य धर्मों के लोग असुरक्षित हैं। 2025 की चैम्पियन ट्रॉफी इसका उदाहरण है। कुछ ही गलत लोगों के आचरण से देश को बदनाम होता है, लेकिन उसके परिणाम को पूरे देश के लोगों को भुगतान पड़ता है। परंतु इसमें उस देश में रहने वाले लोगों की पूरी गलतियां होती है कि आप लोग ही उन्हें धर्म के नाम पर गुमराह करके ऐसा करने देते हैं। और इसका विरोध नहीं करते। अगर विरोध किया होता तो ये दिन देखने नहीं मिलते और पाकिस्तान में चैम्पियन ट्रॉफी आसानी से होती। वही हाल आज बांग्लादेश में हो रहा है। और वहां के लोग हाथ में हाथ धर कर बैठे हैं।
विश्व में सबसे ज्यादा मुसलमान इंडोनेशिया में है। लेकिन वहां अन्य धर्मों के लोग के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसा नहीं होता क्यों?? क्योंकि वहां संविधान चलता है।
बहुत-बहुत धन्यवाद पूर्वज!! जय राम जी की।
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