लोग कहते हैं कि तुम "ओंसी" शादी कर लो, ओंसी मतलब 'लव मैरिज'।
कहने वाले समझते नहीं कि, मेरा उद्देश्य क्या है??
ओसी शादियां तो मंदिर, कोर्ट आदि से ही होती है। आप ही बताइए और कैसे होती है? अगर मैं ओंसी शादी करूं, तो ओंसी में तो ऐसे ही होगी ना। ये तो सामान्य सी बात है। ओंसी शादियों में तो प्रथाओं की बात तो दूर दूर तक नहीं है। वो तो कानून है।
शादी में व्याप्त प्रथाओं के अलावा और भी बहुत प्रथाएं हैं। जो मुझे गलत लगती हैं, उन्हें तोड़ता हूं। इसलिए मेरा उद्देश्य शादी करना नहीं है, कि कैसे भी कर लूं? ओंसी शादी तो छोड़ो.... वैसी तो हो ही जाएगी। हमारे समाज की शादियों में जैसी प्रथाएं चल रही हैं इस प्रकार से ही शादी करनी होती, तो कब की हो चुकी होती! भई इधर जिद तो प्रथाओं की है! शादी करने की नहीं। शादी ना हो, मुझे स्वीकार है। लेकिन प्रथाएं स्वीकार नहीं हैं।
और जो लोग उल्टी खोपड़ी, केंपी, मूर्ख है। जो सोचते हैं कि मेरी शादी नहीं हो रही है। तो उनके लिए मेरा कहना है कि, मैं उस खानदान से ताल्लुक रखता हूं। जिसमें अंधों की भी शादी हो जाती है। क्योंकि मेरे सूरदास चाचाकी शादी हुई है। इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।
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