हमारे आसपास के गांवों में आज भी एक बहुत बुरी परंपरा वर्षों से चली आ रही है।


         कि किसी के घर में शादी, विवाह, उत्सव, या अन्य कार्यक्रमों में। 

           जिस दिन प्रीतिभोज या खानपान का  कार्यक्रम रहता है तो उस दिन पूरे गांव के हर एक घर में जा - जाकर निमंत्रण देना पड़ता है। और वो भी एक बार नहीं तीन तीन बार।

        और ऐसा नहीं होता है, कि इन्हें पहले कार्ड या अन्य माध्यमों से निमंत्रित नहीं किया गया होता है।

       और हां आप प्रीतिभोज के पहले कितनी बार ही निमंत्रित कर आएं सभी ग्रामवासियों को, लेकिन अगर प्रीतिभोज के दिन घर - घर जाकर निमंत्रण नहीं दिया। तो गांव से कोई भी नहीं आ सकता है आपके यहां खाना खाने।

    बात सोचने वाली तो यह है। कि जब आप अपने खास रिश्तेदार, भाई बहन, दोस्त आदि को सिर्फ एक फोन करने मात्र से निमंत्रित कर सकते हैं। और आपके मेहमान सभी आ भी जाते हैं। 

    क्योंकि मेहमान समझते हैं कि शादी विवाह के कार्यक्रम में बहुत ज्यादा काम होता है। इसलिए स्वयं नहीं आ पाए, तो कोई बात नहीं इतनी मदद तो कर ही सकते हैं हम।

     गौर करने की बात तो यह है कि सभी लोग इस प्रकार की परंपराएं से जो वर्षों से चली आ रही है, से छुटकारा तो पाना चाहते हैं। लेकिन पहल कौन करे

      अब प्रश्न है कि पहल कौन करे?

     अब समय आ गया है यह बात सही है कि जो पहले से चला आ रहा है। वो उस समय के लिए पूरी तरह से सही रहा होगा। 

     लेकिन अब समय बदल गया है इस प्रकार की परंपरा को हम सभी को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहिए।

     वादा करता हूं कि मैं अपने कार्यक्रमों में ऐसी परंपराएं तोड़ दूंगा।