आजकल शादियों में दहेज (Dowry) बहुत ज्यादा ट्रेंडिंग में होता है, ऐसा लगता है शादियों में दहेज ही दूल्हा होता है।
लेकिन अगर हमारे आसपास के कोई लड़के, दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैैं। या फिर लड़के पक्ष वाले सामने ही लड़की पक्ष वालों से कह देते हैं कि हमें दहेज नहीं लेना है!
तो आसपास के कुछ लोगों की दहेज की वजह से ऐसी मानसिकता होती है, कि लड़के में कुछ ना कुछ कमी होगी, तभी तो इसकी कोई मांग नहीं है। नहीं तो आज के जमाने में दहेज की मांग इतनी बढ़ गई है कि लड़के पक्ष वालों को मनाना पड़ता है।
जैसे तैसे तो लड़के, पैरेंट्स को मना पाते हैं कि हमें दहेज प्रथा समाप्त करना चाहिए, और वो भी सबसे पहले अपने घर से। लेकिन लोग ऐसा सोचते हैं, तो पैरेंट्स को भी थोड़ा सोचना पड़ जाता हैं। इसके बाद पैरेंट्स को मना पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
फिर भी मेरा मानना है कि इसके लिए लड़कियों की तुलना में, लड़को को ज्यादा आगे आना चाहिए। क्योंकि लड़के ज्यादा आसानी से इस प्रथा से छुटकारा दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। सबसे पहले उनको अपनी बस शादी में दहेज लेने से मना करना है। और इतना करने पर ही दहेज प्रथा समाप्त हो जाती है।
दहेज प्रथा के लिए लड़के पक्ष वाले ही अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। इसके लिए लड़की पक्ष वाले भी बहुत जिम्मेदार हैं। क्योंकि लड़की पक्ष की तरफ से ही लड़कों की एक से बढ़कर एक कीमत लगाई जाती है।
अगर हमें समाज को दहेज मुक्त करना है। तो ऐसी मानसिकता को हमें सबसे पहले खत्म करना होगा। तभी हम दहेज प्रथा को समाप्त कर सकते हैं।
#weddingwithoutdowry and chadawa, Jewellery
~YOGI
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